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वीणा वत्सल जी के लिए लेखन एक सहज प्रक्रिया है. लेखन उनके लिए रोजमर्रा के काम की तरह अति आवश्यक है. उनका कहना है “मेरे इर्द-गिर्द शब्द जैसे नाचते रहते हैं. मुझे बस उन्हें पहचान कर उकेरना होता है.” इनकेे लेखन की शुरुआत बचपन से ही हो गई थी. जब यह कक्षा 8 में थी तब इनकी पहली कविता पटना से प्रकाशित होने वाले दैनिक ‘नवभारत टाइम्स ‘ में प्रकाशित हुई थी. उसके बाद तो इन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. कॉलेज में आते आते इनकी कवितायें लगातार दैनिक पत्रों एवं कई लघु राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगीं थीं. आकाशवाणी भागलपुर से इनकी अनेक कविताओं का प्रसारण भी हुआ. लेकिन कुछ व्यक्तिगत कारणों ने इनकी इस यात्रा में व्यवधान उत्पन्न कर दिया.
करीब बीस सालों के लंबे अंतराल के बाद इन्होंने पुनः लेखनी थामी. इतने वर्षों से मन में दबी भावनाएं ना सिर्फ कविताओं बल्कि कहानियों एवं उपन्यास के रूप में व्यक्त होने लगीं. परिणाम स्वरूप कई कहानियां अनेक पत्र – पत्रिकाओं तथा विभिन्न ब्लॉग्स और प्रतिलिपि.कॉम पर प्रकाशित हुईं. इस वर्ष बोधि प्रकाशन द्वारा इनका पहला उपन्यास ‘तिराहा ‘ भी प्रकाशित हुआ. इस उपन्यास को सभी ने सराहा है.
वीणा वत्सलजी का जन्म 19 अक्टूबर 1970 में बिहार में हुआ था. इनकी माता का नाम मीना पाण्डेय तथा पिता का नाम श्री श्रीराम पाण्डेय है. वीणा जी ने हिन्दी में एम.ए. की उपाधि अर्जित की है. दो वर्षों तक सिद्धू कान्हू यूनिवर्सिटी संथाल परगना दुमका में विश्वविद्यालय व्याख्याता के रूप में अध्यापन करने का अनुभव भी इन्हें है.
जो विषय इनके दिल के करीब स्वत: पहुँच जाता है और इन्हें
अक्सर परेशान करता हुआ दिमाग में घूमता रहता है, उसे ही यह अपने लेखन के विषय के रूप में चुनती हैं.
इनकी प्रकाशित पुस्तकें
उपन्यास ‘तिराहा’बोधि प्रकाशन द्वारा
“ शतदल “ साझा काव्य संकलन (संपादक – विजेंद्र ; बोधि प्रकाशन )
‘स्त्रीकाल’ ‘सताब दियारा’ ब्लॉग तथा प्रतिलिपि डॉट कॉम पर कई कवितायें एवं कहानियां प्रकाशित वीणाजी प्रतिलिपी.कॉम पर हिन्दी अधिकारी के पद पर हैं.
“प्रतिलिपि लेखनी” जो की प्रतिलिपि.कॉम की एक वेब मैगजीन है में संपादक भी हैं.
वीणाजी का मनना है कि महिलाओं को अपने अंदर गहरा आत्मविश्वास जगाने की जरुरत है तभी वे घर परिवार और समाज में एक प्रतिष्ठित इकाई के रूप में जानी जायेंगी.
लेखन के अतिरिक्त इन्हें पढ़ना और कुकिंग करना बहुत अच्छा लगता है. परिवार में यह बस एक बेटी, एक बहन, एक माँ और एक पत्नी के रूप में ही रहती हैं और सभी को प्रेम करती हैं.
जीवन के प्रति आपका फलसफा है
“मैं जीवन में आशावादी हूँ और कठिन परिश्रम पर भरोसा करती हूँ. ईमानदारी से किया गया श्रम अपने आप फल देता ही है.”
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