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एक विचार जिसने बदल दी तस्वीर

parvaaz hounsale ki
parvaaz hounsale ki
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जम्मू और कश्मीर राज्य का लद्दाख क्षेत्र एक ठंडा पठार है. यहाँ का जीवन अत्यंत कठिन है. यह पहाड़ों का रेगिस्तान कहा जाता है.
लद्दाख का यह क्षेत्र पानी की कमी की समस्या से जूझ रहा था. इस समस्या का एक बहुत ही नायाब हल निकाला इस क्षेत्र के एक मैकेनिकल इंजीनियर सोनम वांगचुक ने. वांगचुक ने कृतिम तौर पर ग्लेशियर का निर्माण किया. यह ग्लेशियर पिरामिड के आकार के होते हैं और देखने में बौद्ध स्तूप की तरह लगते हैं. अतः इन्हें ‘बर्फ के स्तूप’ के नाम से पुकारा जाता है.
सर्दी के मौसम में इस क्षेत्र का तापमान गिरकर -30 से -40 डिग्री सेल्सियश तक पहुँच जाता है. इस दौरान चारों ओर बर्फ जम जाती है. अतः खेती नहीं की जा सकती है. बसंत ॠतु के आगमन पर जब बर्फ पिघलती है तो तालाब पिघली हुई बर्फ के पानी से भर जाते हैं. इसी समय किसान बोआई करते हैं.
पहले लोगों को पानी लेने के लिए बहुत चढ़ाई करनी पड़ती थी. किंतु लोगों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ती थी.
सोनम ने तालाबों और झरनों की दिशा मोड़ दी. जिससे पानी ऊपर पहाड़ों से धीरे धीरे नीचे उतारा जाता था. पानी नीचे आने पर ठंड से जम जाता था. एक पर्त जम जाने के बाद पुनः पानी को उतारा जाता था. ऐसा तब तक किया जाता था जब तक दो मीटर मोटी पानी की परत जमा नहीं हो जाता था.
लेकिन समस्या यह थी कि ग्लेशियर जल्दी पिघल जाते थे. ऐसे में पानी की समस्या पैदा हो जाती थी.
सोनम ने इस समस्या पर विचार किया तो पाया कि इसका कारण क्षेत्रफल है. चौड़े क्षेत्रफल के कारण ग्लेशियर पर अधिक धूप पड़ती थी और वह जल्दी पिघल जाते थे.
सोनम वांगचुक ने इन ग्लेशियर को पिरामिड का रूप दिया जो ऊपर से कम चौड़े होते हैं जहाँ अधिक धूप पड़ती है. जिसके कारण यह जल्दी नहीं पिघलते हैं और लोगों को देर तक पानी प्रप्त होता है.
1 सितंबर 1966 में लद्दाख में जन्मे सोनम ने स्वयं को अपने क्षेत्र के विकास हेतु समर्पित कर रखा है. इन्होंने इस क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था में भी सकारात्मक सुधार किए हैं. पहले यहाँ के विद्यार्थियों को एक ऐसी भाषा जो उनके समाज में नहीं बोली जाती थी में शिक्षा दी जाती थी. जिसके कारण फेल होने वाले छात्रों का प्रतिशत बहुत अधिक था. सोनम ने SECMOL नामक एक वैकल्पिक स्कूल की स्थापना की जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को उनकी भाषा में व्यवहारिक शिक्षा देना था. इस स्कूल में छात्रों को आम जीवन के उदाहरणों से वैज्ञानिक सिद्धांत सिखाए जाते हैं. इस स्कूल से कई नामी हस्तियां निकली हैं.
सोनम को उनके बर्फ के स्तूप के लिए नवंबर 2016 में Rollex Award से सम्मानित किया गया है. इस पुरुस्कार के तहत प्राप्त राशि को सोनम ने अपने क्षेत्र के विकास के लिए समर्पित कर दिया है.

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