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सजल घोष ऊर्जा के संरक्षण संवर्धन तथा सही प्रयोग के बारे मे लेख लिखते हैं. उनके लिखे लेख बहुत सराहे जाते हैं. वर्तमान में वह गुरूग्राम के माने हुए बिज़नेस स्कूल Management Development Institute में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं. अपने पढ़ाने के नए तथा वैज्ञानिक तरीके के कारण अपने छात्रों के बीच बहुत प्रसिद्ध हैं.
सजल पिछले बीस वर्षों से एक दुसाध्य रोग से पीड़ित हैं. जिसके कारण उनका शरीर 90% अक्षमता से ग्रसित है. वह चलने फिरने के लिए Wheelchair पर आश्रित हैं. अपने बिगड़ते स्वास्थ के कारण इन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. परंतु साहस के धनी सजल ने हार नही मानी. जादवपुर विश्वविद्यालय से इन्होंने M. Tech तथा Ph.D किया. इसके अतरिक्त मुंबई के IGIDR से M.Phil पूर्ण किया.
सजल ने अपने कैरियर का आरंभ confederation of Indian Industries (CII) में उनके ऊर्जा विभाग से किया. यहाँ इनका प्रमुख कार्य CII को शोध के क्षेत्र में आवश्यक मदद प्रदान करना था. इसके अतरिक्त केंद्रीय मंत्रालयों तथा अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिल कर ऊर्जा संबंधी मुद्दों पर कार्य करना था.
2006 में सजल ने CII छोड़ कर अध्यापन के क्षेत्र में कदम रखा और शिक्षक के तौर पर MDI में कार्य करना आरंभ किया. शिक्षण के क्षेत्र में इनकी रुचि के विषय निम्न हैं
Energy Economics Energy Modelling Cleaner Technologies.
Energy economics का संबंध समाज में ऊर्जा की पूर्ति एवं सही प्रयोग का अध्ययन करना है.
Energy Modelling ऊर्जा के उत्पादन के विभिन्न तरीकों की खोज करता है. उत्पादन के उन तरीकों का अध्ययन करना जिससे अबाधित आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके इस विषय का प्रमुख कार्य क्षेत्र है.
cleaner technologies के अंतर्गत ऊर्जा के सुरक्षित प्रयोग हेतु दिशा निर्देश तय करना है.
सजल अब तक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जर्नल में 36 शोध संबंधी लेख लिख चुके हैं. इसके लिए सजल बहुत सी प्रशंसा प्राप्त कर चुके हैं.
सजल MDI की तरफ से 2010, 2012 तथा 2014 में शोध कार्य हेतु ‘Award of Excellence’ प्राप्त कर चुके हैं. सजल अंतर्राष्ट्रीय जर्नल के शोध पत्रो का पुनर्वलोकन करने के साथ साथ अक्सर Economic Times तथा MINT के लिए लेख भी लिखते हैं.
अपनी शारीरिक स्थिति को सजल ने कभी भी अपनी राह का रोड़ा नही बनने दिया. अपनी सफलता के लिए सजल अपनी जीवन संगिनी ककाली के प्रेम व सहयोग के प्रति आभार प्रकट करते हैं. उनके जीवन के सबसे कठिन दौर में ककाली उनके जीवन में आईं और उनके जीवन का अहम हिस्सा बन गईं. सजल अपनी पत्नी तथा बेटे सागनिक के साथ सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
संगीत तथा कविताओं के शौकीन सजल की इच्छा अपने पैतृक गांव जाकर जीवन के शेष दिन प्रकृति की गोद में व्यतीत करने की है.
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