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विरासत में हमें जो भारतीय गौरव पूर्ण धरोहर मिली है वह अतुलनीय है

parvaaz hounsale ki
parvaaz hounsale ki
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मनुष्य जहाँ जाता है अपने साथ वहाँ अपनी धर्म और संस्कृति को भी ले जाता है. ज्ञान राजहंस जी भी ऐसे ही व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत से हजारों मील दूर कनाडा की धरती में भारतीय धर्म एवं दर्शन के बीज रोपित किए हैं. आपकी तपस्या के परिणाम स्वरूप वहाँ भी सनातन धर्म और दर्शन की जड़ें मजबूत हुई हैं.
गत पैंतीस सालों से ज्ञान जी ‘भजनावली’ के नाम से प्रसारण के माध्यम से वैदिक संस्कृति का प्रचार कर रहे हैं. भजनावली एक गैर व्यवसायिक संस्था है. इसका आरंभ 1 अप्रैल 1981 को हुआ था. आरंभ में यह संस्था प्रत्येक रविवार को एक घंटे के रेडियो प्रसारण के माध्यम से वैदिक चिंतन से संबंधित सामग्री लोगों तक पहुँचाती थी. 1998 से 2006 तक यह प्रसारण वेबसाइट के माध्यम से इंटरनेट पर भी उपलब्ध रहता था. 2007 में रेडियो प्रसारण समाप्त कर ‘Bhajnawali.com’ नामक वेबसाइट के जरिए ही वैदिक धर्म का प्रचार प्रसार किया जाता है. इस वेबसाइट पर वैदिक दर्शन व सिद्धांत से संबंधित पठनीय व श्रव्य सामग्री उपलब्ध है. वेबसाइट के संचालन की लागत प्राप्त दान की राशि से पूरी की जाती है. भजनावली की अनुसंशा Britannicaencyclopedia द्वारा की गई है.
ज्ञान राजहंस जी को स्वास्थ एवं सुरक्षा संबंधी मामलों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त है. 1968 से 2000 तक ज्ञान जी ने कनाडा के ओंटारिओ प्रांत के श्रम मंत्रालय में Chief  Industrial Hygienist and District Manager के तौर पर कार्य किया है. वर्तमान में आप Gyan S. Rajhans & Associates नामक Consultancy firm का संचालन कर रहे हैं.

ज्ञान जी का जन्म सुल्तानगंज, भागलपुर, बिहार में २ जनवरी  1942 को हुआ. आपके पिता स्वर्गीय पंडित जयदेव राजहंस जी के संस्कारों के कारण ही विज्ञान के छात्र होते हुए भी आप की रूचि सदैव ही भारतीय धर्म एवं संस्कृति में बानी रही. इंडियन स्कूल ऑफ़ माइंस धनबाद से डिग्री प्राप्त की तो आपको कनाडा के क़ुईन्स यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट स्टडीज के लिए स्कालरशिप प्राप्त हुई. 1964 में जब आप भारत से कनाडा आने लगे तो आपके पिता जी ने गीता की एक पुस्तक देकर कहा “बेटा कनाडा अकेले जा रहे हो सिर्फ २३ वर्ष की अवस्था में, इस गीता का पाठ प्रति दिन कम से कम एक अध्याय अवश्य करना, अकेलापन महसूस नहीं होगा.” तब से लेकर आज तक आप पिता की आज्ञा का पालन कर रहे हैं. 1967 में अपने पिता जी की आज्ञा से भारत आकर आप ने देवघर, झारखण्ड निवासी नीलू से विवाह किया और उसके साथ कनाडा वापस लौट कर सदा के लिए यहीं बस गए.

ज्ञान राजहंस जी ने भारतीय दर्शन एवं सिद्धांत पर कई लेख लिखे हैं. वर्तमान पीढ़ी के लाभ हेतु आपने ‘श्रीमद् भागवत गीता’ का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया है. अपनी वेबसाइट भजनावली के द्वारा अंग्रेजी तथा हिंदी भाषा में वेदांत के सिद्धांत, रामायण व महाभारत में वर्णित कहानियों के मूल औचित्य के विषय में जानकारी देते हैं.  इसके अतिरिक्त धर्म व दर्शन संबंधित जिज्ञासाओं का समाधान भी करते हैं.

2005 में “India International Friendship Society” द्वारा ‘भारत गौरव सम्मान’
2005 में Canadian Ethnic Journalists and Writers’ Club Award
स्वास्थ व सुरक्षा सेवाओं के क्षेत्र में सराहनीय कार्य हेतु Amethyst Award
Hugh M,Nelson
award of Excellence
OH&S Magazine द्वारा Life Achievement Award

नीलू एक आदर्श जीवन साथी हैं.आपके तीन सुपुत्र, आशीष, अमित और मोहित हैं जो अपने अपने क्षेत्रों में उच्च पदों पर हैं. 7 पोते पोतियां हैं जो प्रत्येक वीकेंड आपके पास आकर समय बिताते हैं.
युवा पीढ़ी को उनका सन्देश है

“स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः” विरासत में हमें जो भारतीय गौरव पूर्ण धरोहर मिला है वह अतुलनीय है. ये युवा जब जीवन में अग्रसर होंगे तो उन्हें पता चलेगा कि वे कितने भाग्यशाली हैं कि उनका जन्म ऐसे महान देश में हुआ है.”

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