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वह परोसती है ‘माँ का प्यार’

parvaaz hounsale ki
parvaaz hounsale ki
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आज की युवा पीढ़ी कुछ नया करना चाहती है. इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वह जोखिम उठाने से भी नही डरती है.

राधिका अरोड़ा भी ऐसे ही युवाओं में से एक हैं.

राधिका ने एक प्रतिष्ठित टेलीकॉम कंपनी की अपनी अच्छी नौकरी छोड़ कर खाने की एक रेड़ी आरंभ की. इसके माध्यम से वह अपने घर से दूर रह रहे लोगों को स्वादिष्ट खाना परोसती हैं. इसका स्वाद घर के पके खाने जैसा होता है. इस रेड़ी का नाम है ‘माँ का प्यार’.

पहले पढ़ाई फिर काम के कारण घर से दूर रहने वाली राधिका को पीजी या टिफिन सर्विस का खाना बिल्कुल अच्छा नही लगता था. वह अपनी माँ के हाथ के बने खाने के लिए तरसती थीं. उन्होंने देखा कि उन्हीं की भांति अन्य लोग जो घर से बाहर हैं इसी प्रकाऱ की समस्या का सामना करते हैं.

एम बी ए की डिग्री हांसिल कर चुकी राधिका ने अपनी नौकरी छोड़ कर खाने की रेड़ी लगाने का फैसला किया जिसके ज़रिए लोगों को माँ के हाथ के बने खाने जैसा स्वाद दे सकें.

राधिका के लिए राह आसान नही थी. उन्हें उन सभी समस्याओं का सामना करना पड़ा जो सड़क पर रेड़ी लगाने वालों को होती हैं. रेड़ी लगाने की अनुमति लेने के लिए भाग दौड़ करना, आस पास के अन्य रेड़ी वालों से प्रतिस्पर्धा करना. इसके अतरिक्त उनके परिवार वालों को भी उनके निर्णय पर अधिक यकीन नही थी. लेकिन धुन की पक्की राधिका पूर्णतया आश्वस्त धीं.

राधिका ने स्वयं ही अपनी रेड़ी को डिज़ाइन किया. उसे सुरुचिपूर्ण तरीके से सजाया और नाम दिया ‘माँ का प्यार’. इन्होंने एक रसोइया रखा जो राजमा, छोले, कढ़ी चावल आदि बनाता है.

रोज़ दोपहर को नारंगी टी शर्ट तथा जींस पहन कर वह मोहाली के फ़ेज़ 8 के औद्योगिक क्षेत्र में अपनी रेड़ी लगाती हैं. रोज़ाना करीब 70 प्लेट खाना केवल दो घंटों के भीतर ही बिक जाता है.

अब राधिका चंडीगढ़ के IT Park क्षेत्र में इसी प्रकार खाने की रेड़ी लगाने का है.

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