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रक्त की हर बूंद में जीवन दायिनी शक्ति होती है. आपातकाल में यदि रक्त ना मिल पाए तो जीवन खतरे में पड़ जाता है. इसीलिए कहते हैं कि ‘रक्तदान’ है ‘महादान’.
इसी मूल मंत्र को अपने जीवन में उतारा है मुंबई निवासी प्रकाश नदार ने. प्रकाश अब तक 77 से भी अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं. वह 90% शारीरिक रूप से विकलांग हैं. किंतु उनकी शारीरिक अवस्था कभी उनके उद्देश्य में बाधा नही बनी.
प्रकाश का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. बचपन में ही वह पोलियो का शिकार हो गए. लेकिन हिम्मत के धनी प्रकाश ने कभी भी अपनी शारीरिक दशा से हार नही मानी.
प्रकाश ने Society for Education for the Crippled द्वारा चलाए जा रहे विशेष बच्चों के स्कूल से शिक्षा प्राप्त की.
प्रकाश ने जब अपने पिता को सही समय पर रक्त ना मिल पाने के कारण दम तोड़ते देखा तो रक्तदान को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया. इन्होंने एक NGO के साथ मिल कर लोगों में रक्तदान के प्रति जागृति फैलानी आरंभ कर दी. इन्होंने रक्तदान के लिए कई शिविर आयोजित किये. स्वयं आगे आकर रक्तदान किया तथा दूसरों को भी प्रोत्साहित किया. Federation of Indian Blood Donors Organisations (FIBDO) की सहायता से वह पिछले 22 वर्षों से नियम के अनुसार हर तीन माह में एक बार रक्तदान करते हैं.
अब तक सात बार वह आपातकाल में जरूरतमंदों को तथा NGO Pehchan Charitable Trust द्वारा स्थापित Blood Bank में रक्तदान कर चुके हैं. इन्होंने 38 शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों को भी इस मुहिम में शामिल किया है.
प्रकाश एक Para Athlete हैं. इन्होंने 42 km. लंबी Swimarothon पूरी की है. अब तक विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में वह 81gold, 29 silver and 27 bronze पदक जीत चुके हैं.
उनका इरादा भारत के सभी राज्यों में रक्तदान कर लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करना है.
समाज को उनका संदेश है कि नियमानुसार रक्तदान कर बहुमूल्य जीवन की रक्षा में सहयोग दें. वह कहते हैं जब मैं 90% विकलांग होकर ऐसा कर सकता हूँ तो अन्य लोग क्यों नही.
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