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चित्रकारों का ऐसा समूह जिसने अपने हुनर के माध्यम से आत्मसम्मान के साथ रहने का रास्ता निकाला है. अपने द्वारा बनाए गए Greeting cards, calendars, print and illustrated books की बिक्री कर यह कलाकार अपनी अजीविका कमाते हैं.
यह समूह अपने आप में नायाब है. इसके सभी सदस्य अपने चित्र मुंह या पैरों के बीच ब्रश फंसा कर बनाते हैं. किसी दुर्घटना या बीमारी के कारण अपने हाथों का प्रयोग करने में असमर्थ हैं.
इस समुदाय का नाम है The Mouth and Foot Painting Artists Association (MFPA). यह एक Registered for profit संस्था है जिसमें 74 देशों के 800 से अधिक कलाकार जुड़े हैं. इसमें भारत के विभिन्न प्रांतों के 20 से अधिक चित्रकार शामिल हैं.
MFPA की स्थापना 1956 में की गई थी. इसकी स्थापना का श्रेय ऐरिक स्टैगमान को जाता है. जर्मनी में जन्मे ऐरिक पोलियोग्रस्त होने के कारण अपने दोनों हाथों का प्रयोग करने में असमर्थ थे. अपने मुंह में ब्रश फंसा कर यह सुंदर चित्र बनाते थे. इस कला के जरिए इन्होंने बहुत नाम तथा धन अर्जित किया.
इन्होंने विचार किया कि क्यों ना अपने जैसे अन्य चित्रकारों का समूह बनाया जाए. जिसके जरिए उनके बनाए चित्रों को बेंच कर धन अर्जित किया जाए. इससे उन्हें आत्मसम्मान पूर्वक जीने का मौका मिलेगा.
आज यह सगूह मुंह तथा पांव से चित्रकारी करने वाले कई देशों के चित्रकारों को एक अच्छा मंच प्रदान कर रहा है. यहाँ ना सिर्फ उन्हें अपनी प्रतिभा को दर्शाने का मौका मिलता है वरन् अपनी प्रतिभा के माध्यम से वह आत्मसम्मान पूर्वक धनार्जन भी करते हैं.
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