Menu
blogid : 24173 postid : 1194994

हौंसले की मिसाल ‘डॉ. सुंकी कार्तिक’

parvaaz hounsale ki
parvaaz hounsale ki
  • 57 Posts
  • 24 Comments

12232935_971877926191640_8767429203825759393_o

‘मन के हारे हार है और मन के जीते जीत’. जीवन मे वास्तविक पराजय तब होती है जब आप मन से हार जाते हैं. जो वय्क्ति मन को मजबूत बनाए रखता है और कठिन परिस्थितियों में भी हिम्मत नही हारता वह हालातों को अपने पक्ष में कर जीत हांसिल करता है.



Internship के बाद डॉ. सुंकी ने Primary Health Centre में Medical Officer के तौर पर नियुक्ति प्राप्त की. अक्सर लोग Wheelchair पर बैठे डॉक्टर को देख कर चौंक जाते थे. उनकी आंखों में एक सवाल होता था ‘क्या आप ही डॉक्टर हैं. आप मेरा इलाज करेंगे.’ लोगों के इस बर्ताव का बुरा मानने की बजाय इन्होंने इसे सामान्य रूप से लिया. लोगों के कुछ पूंछने से पहले ही वह अपना परिचय दे देते थे. अपनी बातों से उन्हें अपनेपन का एहसास करवाते थे. अपने दोस्ताना बर्ताव से जल्दी ही इन्होंने उनका विश्वास जीत लिया. परिणाम स्वरूप राज्य सरकार ने इन्हें पुरस्कृत किया.
अपने दैनिक कार्यों में डॉ. सुंकी पूर्णतया आत्मनिर्भर हैं. इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए इन्होंने अपनी Modified carचलाना आरंभ किया है.

डॉ. सुंकी का कहना है कि वह अपने पेशे का प्रयोग लोगों की खिदमत में करना चाहते हैं. अपनी शारीरिक स्थिति को वह किसी भी प्रकार अपने काम में बाधा नही बनने देना चाहते है.

अपनी सफलता का श्रेय डॉ. सुंकी अपने परिवार तथा मित्रों को देते हैं जो कठिन समय में सदैव ही उन्हें प्रोत्साहित करते रहे.

डॉ. सुंकी का जीवन भी एक आम युवक की भांति ही चल रहा था. वह MBBS तीसरे वर्ष के छात्र थे. तभी समय ने इनकी परीक्षा लेने की ठानी. 10 दिसंबर 2011 में डॉ. सुंकी एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए. प्रारंभ में चिकित्सकों ने आश्वासन दिया कि सर्जरी के बाद तीन माह में वह अपने पैरों पर खड़े होने लगेंगे. उम्मीद के साथ वह उस क्षण की प्रतीक्षा करने लगे. तीन माह बाद जब यह संभव ना हो सका तो कुछ हद तक वह निराश हुए लेकिन शीघ्र ही इन्होंने स्वयं को संभाल लिया. वह इस बात को समझते थे कि हालातों से हार कर रोने से कुछ नही होगा. किंतु हिम्मत से उनका सामना कर वह बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं. अतः सारे नकारात्मक विचारों को हटा कर डॉ. सुंकी ने अपना पूरा ध्यान MBBS की पढ़ाई पर केंद्रित कर दिया. Wheelchair पर बैठ कर इन्होंने अन्य छात्रों के साथ अपनी पढ़ाई और उसके बाद Internship पूरी की.

1888998_677723105607125_1896925405_o

अपनी आगे पढ़ने की इच्छा के कारण इन्होंने Post graduation के लिए Entrance परीक्षा पास की. इन्हें Gandhi Medical College में MD Anesthesia शाखा में प्रवेश लिया है.

अपने दैनिक कार्यों में डॉ. सुंकी पूर्णतया आत्मनिर्भर हैं. इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए इन्होंने अपनी Modified carचलाना आरंभ किया है.


डॉ. सुंकी का कहना है कि वह अपने पेशे का प्रयोग लोगों की खिदमत में करना चाहते हैं. अपनी शारीरिक स्थिति को वह किसी भी प्रकार अपने काम में बाधा नही बनने देना चाहते है.


अपनी सफलता का श्रेय डॉ. सुंकी अपने परिवार तथा मित्रों को देते हैं जो कठिन समय में सदैव ही उन्हें प्रोत्साहित करते रहे.


Tags:               

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh